3 महीने का बच्चे का कितना वजन होना चाहिए?healthplanet.net

Posted on Wed 19th Oct 2022 : 10:22

3 महीने के बच्चे का वजन और हाइट कितनी होनी चाहिए?

जब शिशु जन्म लेता है, तो उसके बाद पहले और दूसरे महीने में शिशु के वजन और कद में लगभग कुछ ही अंतर रहता है। हालांकि, 3 महीने के शिशु का विकास पहले दो महीने के तुलना में ज्यादा होता है। तीसरे महीने में बेबी गर्ल का सामान्य वजन 4.7 किलो से 6.3 किलो और लंबाई 59.8 सेंटीमीटर तक हो सकती है। वहीं, बेबी बॉय का सामान्य वजन 5.1 किलो से 6.9 किलो तक और लंबाई 61.4 सेंटीमीटर हो सकती है (1)। ध्यान रहे कि हर शिशु का शारीरिक विकास व बनावट अलग-अलग होती है। इसका असर उनकी लंबाई व वजन नजर आता है। साथ ही शिशु का वजन उसके जन्म के समय के वजन पर भी निर्भर करता है। इस मामले में बाल चिकित्सक से आपको और सटीक जानकारी मिल सकती है।

इस लेख के आगे के भाग में जानिए शिशु में होने वाले विभिन्न प्रकार के विकास के बारे में।
3 महीने के बच्चे के विकास के माइल्सटोन क्या हैं?

जन्म के बाद शिशु जैसे-जैसे बड़े होते हैं, महीने दर महीने उनका शारीरिक, मानसिक व भावनात्मक विकास होता है। वो हर महीने कुछ नया सीखते हैं। नीचे हम 3 महीने के बच्चे की गतिविधियों और उनके विकास के माइल्सटोन के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
मस्तिष्क विकास

चेहरे की पहचान – शिशु जब तीन महीने का होता है, तो वो अपने आस-पास के लोगों को थोड़ा-थोड़ा पहचानने लगता है। साथ ही जो हमेशा उसके साथ रहते हैं, शिशु उन्हें दूर से ही पहचानने लगता है ।

आवाज सुनने पर प्रतिक्रिया देना – कई बार जब वो कोई जानी-पहचानी आवाज सुनते हैं, तो उसे सुनकर मुस्कुराने लगते हैं या उत्साहित होने लगते हैं ।

आवाजों को सुनकर ढूंढ़ना – कई शिशु म्यूजिक सुनकर या किसी की आवाज सुनकर उस ध्वनि की तरफ अपना सिर घूमाते हैं और आवाज कहां से आ रही है, यह पता करने की कोशिश करते हैं। इसके अलावा, कुछ आवाजों की नकल भी करने लगते हैं, लेकिन कई बार शिशु कुछ आवाजों से तंग होकर रोने भी लगते हैं ।

बात करने की कोशिश – कभी-कभी जब कोई उनके साथ खेलता या बात करता है तो शिशु भी अपने तरीके से जैसे – हाथों-पैरों को हिलाकर और आँखों के इशारों से उनसे बात करने की कोशिश करते हैं। हालांकि कभी-कभी बड़ों के कुछ हरकतों से शिशु चिढ़ भी जाते हैं (2)।

शारीरिक विकास

सिर को उठाना – जब शिशु तीन महीने के होते हैं, तो धीर-धीरे कुछ हरकतें सीखने लगते हैं। जब वो पेट के बल लेटते हैं, तो अपने सिर और सीने को हल्का-हल्का ऊपर उठाने की कोशिश करते हैं और कुछ हद तक इस कोशिश में कामयाब भी हो जाते हैं। कई बार तो वो सिर को कुछ सेकंड के लिए स्थिर रखने में भी कामयाब हो जाते हैं ।

हाथों पर शरीर का वजन संभालना – जब शिशु पेट के बल लेटते हैं, तो कभी-कभी वो अपने हाथों पर अपने शरीर का भार देने की कोशिश करते हैं। वो अपने हाथों पर जोर देकर शरीर या सिर को उठाने की कोशिश करते हैं ।

खिलौनों को पकड़ना सीखते हैं – तीसरे माह में शिशु कुछ चीजों को पकड़ना सीखने लगते हैं। उनके सामने उनके पसंद के खिलौने या अन्य कोई चीज रहे, तो वो उसे पकड़ने, खींचने और फेंकने लगते हैं। वो मुट्ठी को खोलने व बंद करने लगते हैं, जिस कारण वो चीजों को पकड़ना और अनजाने में चीजों को गिराना सीखने लगते हैं ।

चीजों को देखना – कभी-कभी वो किसी चीज को हिलते हुए देखते हैं, तो उसको कुछ क्षणों के लिए देखते रहते हैं या किसी आवाज को सुनकर उसकी तरफ देखते हैं या प्रतिक्रिया भी देते हैं ।

मुंह में हाथ डालना – इस दौरान वो अंगूठा चूसना या मुंह में हाथ डालना भी सीखने लगते हैं, जो कभी-कभी उनके भूख लगने का संकेत भी देता है ।

पीठ के बल लेटने पर हाथ-पांव चलाना – तीसरे महीने में जब शिशु को पीठ के बल लेटाया जाता है और उनका मूड अच्छा होता है, तो वो तेज-तेज हाथ-पांव चलाते हैं। यह उनके खेलने का संकेत होता है, जिन चेहरों को वो पहचानने लगते हैं, उनके सामने भी वो ऐसा ही करते हैं ।

सामाजिक और भावनात्मक विकास

जाने-पहचाने चेहरे को देख मुस्कुराना – तीसरे महीने तक आते-आते शिशु लोगों को थोड़ा-थोड़ा पहचानना सीख जाते हैं। जो उनके आस-पास ज्यादा वक्त बिताते हैं, उनके साथ होने पर वो प्रतिक्रिया देते हैं और मुस्कुराने और खिलखिलाने भी लगते हैं। अपने भाई-बहनों को देखकर या दूसरे शिशुओं को देखकर भी कई बार वो उत्साहित होकर खिलखिलाने लगते हैं ।

लोगों के साथ खेलना – तीसरे महीने में आने के बाद शिशु हाथ-पैर को चलाकर खेलना शुरू कर देते हैं। जिनके चेहरे वो पहचानते हैं, उनके सामने आने से वो ज्यादा उत्साहित होकर अपने हाथ-पैर चलाते हैं और खेलने का संकेत देने लगते हैं। जब व्यक्ति खेलना या शिशु पर ध्यान देना बंद कर देते हैं, तो कई बार वो रोने भी लगते हैं ।

अंजान के आसपास असुरक्षित महसूस करना – शिशु अगर परिचित चेहरों को देखकर खुश होते हैं और सुरक्षित महसूस करते हैं। वहीं, अनजान के स्पर्श से या उन्हें देखकर या अनजान लोगों के पास आने पर रोने भी लग सकते हैं या चिड़चिड़ाकर अपने भाव को व्यक्त करते हैं (4)।

तीन माह के शिशु को लगने वाले टीकों के बारे में जानने के लिए पढ़ते रहें यह आर्टिकल।
3 महीने के बच्चे के टीकाकरण की सूची

शिशु के जन्म के साथ ही उसके सही स्वास्थ्य की जिम्मेदारी भी माता-पिता और परिवार की होती है। जन्म के बाद शिशु को सेहतमंद रखने के लिए उसका टीकाकरण समय पर करवाना जरूरी है। भारत सरकार देशभर में टीकाकरण केंद्र चलाती है, जहां मुफ्त में टीके लगवाए जाते हैं। वहीं, निजी अस्पतालों में टीकाकरण के लिए कुछ शुल्क देना पड़ता है। यहां हम उन टीकों के बारे में बात कर रहे हैं, जो 10 हफ्ते या उससे अधिक उम्र के शिशु को लगने चाहिए ।

डीटी डब्ल्यू पी 2
आईपीवी 2
हिब 2
रोटावायरस 2
पीसीवी 2

नोट : ऊपर दी गई सूची में जिन टीकों के नाम हैं, उनको कब-कब लगवाना है, उसकी जानकारी आपको शिशु विशेषज्ञ से आसानी से मिल जाएगी। इसके अलावा, शिशु के जन्म के बाद माता-पिता को टीकाकरण का चार्ट भी दिया जाता है, उससे भी आपको काफी जानकारी मिल सकती है। अगर कोई उलझन हो, तो आप डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं।

आगे हम शिशु को दूध की कितनी मात्रा देनी चाहिए, उस बारे में बात करेंगे।
3 महीने के बच्चे के लिए कितना दूध आवश्यक है?

शुरुआती महीनों में शिशु की पाचन शक्ति कमजोर होती है और वो कम दूध पीते हैं। वहीं, महीने-दर-महीने उनकी भूख बढ़नी शुरू होती है और तीसरे महीने तक आते-आते पहले की तुलना में थोड़ा ज्यादा दूध का सेवन शुरू कर देते हैं। नीचे हम उसी के बारे में आपको जानकारी देंगे।

मां का दूध : तीसरे महीने में शिशु हाथ-पैर पटक कर खेलता है और अन्य हरकतें भी करता है, जिसमें उसकी ज्यादा ऊर्जा खर्च होती है। साथ ही उसका पेट भी बढ़ता है, जिस कारण उसे भूख ज्यादा लगती है। इस स्थिति में उन्हें हर रोज 500 से 900 एमएल मां के दूध की जरूरत होती है (6)। शिशु 24 घंटे में 8 से 12 बार मां के दूध का सेवन कर सकता है (7)। हालांकि, हर शिशु की जरूरतें और स्वभाव अलग-अलग होते हैं, तो उसी आधार पर हो सकता है कि हर किसी के दूध पीने की आदत में थोड़ा अंतर हो।

फॉर्मूला दूध : यह तो सभी जानते हैं कि 6 महीने तक शिशु के लिए मां के दूध से बेहतर और कुछ नहीं है, लेकिन फिर भी कभी-कभी कुछ परिस्थितियों में शिशु को फॉर्मूला दूध दिया जा सकता है। तीन महीने के शिशु को 177 एमएल फॉर्मूला दूध का सेवन 5 से 6 बार करा सकते हैं ।

क्या आप जानते हैं कि नन्हा शिशु कितने घंटे सोता है? अगर नहीं, तो आइए पता करते हैं।
3 महीने के बच्चे के लिए कितनी नींद आवश्यक है?

जन्म के बाद शिशु को पर्याप्त नींद मिलनी आवश्यक है। शिशु के सोने का कोई निर्धारित वक्त नहीं होता है। अगर तीन महीने के शिशु की नींद की बात करें, तो वो औसतन 15 घंटे सो सकते हैं। रात को 9 से 10 घंटे और दिन में कम से कम 4 से 5 घंटे ।

आगे जानिए तीन महीने का शिशु क्या-क्या गतिविधियां करता है।
3 महीने के बच्चे के लिए खेलें और गतिविधियां

शिशु जब तीन महीने के होते हैं, तो वो थोड़ी बहुत गतिविधियां करने लगते हैं और लोगों को पहचानने लगते हैं। ऐसे में माता-पिता और घर के अन्य सदस्य उन्हें और उत्साहित करने के लिए उनके साथ कई तरह के गेम्स खेल सकते हैं। नीचे हम उन्हीं के बारे में बता रहे हैं :

शिशु को बाहर की खुली हवा में घुमाने ले जाएं या फिर उन्हें दूसरे शिशुओं के सामने लेकर बैठें, ताकि वो उनके साथ घुलने-मिलने की कोशिश करें।

जब आप शिशु के साथ घर में वक्त बिता रहे हों, तो शिशु को पेट के बल लेटा दें और उसके सामने उसके पसंदीदा खिलौना रख दें और उसे खिलौना पकड़ने के लिए प्रेरित करें। तीन महीने में शिशु थोड़ा बहुत चीजों को पकड़ना सीखने लगते हैं।

तीन महीने में शिशु आवाज सुनकर प्रतिक्रिया देने लगते हैं। ऐसे में उनके सामने म्यूजिक चला दें, ध्यान रहे कि आवाज ज्यादा तेज न हो वरना शिशु चिड़चिड़ा भी सकते हैं। आप उनके सामने तरह-तरह की आवाजें निकालें, ताली बजाएं, आवाज वाले खिलौने रखें। आप चाहें तो ताली बजाकर छुप जाएं, ताकि वो आपको ढूढें। आप आवाज निकालने वाले खिलौनों को छुपाकर बजाएं, ताकि वो आवाज को ढूंढें।

आप उनके सामने लुका-छिपी जैसे खेल भी खेल सकते हैं और उनके सामने अलग-अलग तरह की लाइट जलाकर उनका ध्यान खींच सकते हैं।

यहां हम शिशु के स्वास्थ्य से जुड़ी कुछ जानकारियां दे रहे हैं, जिन पर माता-पिता का ध्यान देना जरूरी है।
तीन महीने के शिशु को लेकर माता-पिता की स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं

शिशु के विकास के साथ-साथ उन्हें कुछ स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी होने लगती हैं, जो आम हैं। वहीं, शिशु को हल्की सी भी समस्या होने पर माता-पिता चिंतित हो जाते हैं। नीचे हम तीन महीने के शिशु की कुछ स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के बारे में बता रहे हैं, जिनका ध्यान रखना जरूरी है –

सर्दी-जुकाम – शिशु की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम होती है। ऐसे में मौसम में थोड़ा भी बदलाव होते ही उन्हें सर्दी-जुकाम या फिर सांस संबंधी समस्या हो सकती है। साथ ही नाक बहने जैसी परेशानी भी हो सकती है । अगर शिशु को तेज बुखार है या शिशु दूध नहीं पी रहा है, तो बाल रोग विशेषज्ञ से मिलें और शिशु की जांच करवाएं।

कम वजन – कई बार शिशु को संक्रमण के कारण उल्टी और दस्त भी हो जाते हैं, जिससे शरीर में पानी की कमी और वजन कम होने का खतरा हो जाता है ।

कान का संक्रमण – शिशु को कान का संक्रमण भी हो सकता है, जिस कारण वो चिड़चिड़े होकर रोने लगते हैं। इसका एक बहुत ही सामान्य कारण है शिशुओं को सोने या लेटने की स्थिति में दूध पिलाना। इसलिए, दूध पिलाते वक्त शिशु के सिर को छाती के मुकाबले ऊपर रखें। अगर शिशु ज्यादा रोते हैं या चिड़चिड़े होते हैं, तो आप डॉक्टर से जरूर संपर्क करें ।

त्वचा संबंधी समस्या – डायपर की वजह से शिशु को डायपर रैशेज हो सकते हैं। इसके अलावा, अन्य त्वचा संबंधी परेशानियां जैसे – खुजली होना व एक्जिमा होने जैसी समस्या हो सकती है ।
नोट: अगर शिशु लगातार रो रहा है, चिड़चिड़ा हो जाए, दूध न पिए या बेचैन रहे है, तो इस स्थिति में समझ जाएं कि शिशु को कोई शारीरिक समस्या हो रही है। इसलिए, बिना देर करते हुए तुरंत शिशु को डॉक्टर के पास ले जाएं।

solved 5
wordpress 1 year ago 5 Answer
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